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दोस्तोंआज कल बरसात का मौसम चल रहा है हर तरफ हरयाली ही हरयाली है बारिश की बूंदो ने हर चीज़ को साफ सुथरा बना दिया है इस मौसम में इंसान के जज़्बात भी बहुत बढ़ जाते हैं होंठो पर तराने और दिल में मस्ती के जज़्बात अंगड़ाइयां लेने लगते हैं और कभी कभी शायरी की दुनिया में खो जाते हैं इस लिए आज के इस पोस्ट में हम आपके लिए बरसात पर शायरी लेकर आये हैं जिसे पढ़ने के बाद आपके दिल की दुनिया खुशगवार और आपके मिज़ाज में सुरूर पैदा हो जायेगा तो चलिए दोस्तों शायरी पढ़ते हैं.

बरसात शायरी, बारिश शायरी, उदास बारिश शायरी

वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा

मोहब्बत शायरी

Wo mere rubaru aaya bhi to barsat ke mausam mein
Mere aansoo bah rahe the aur wo barsat samjh baitha

बारिश और मोहब्बत दोनो ही यादगार होते हैं
बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आँखें
Love Shayari

Barsih aur mohabbat dono hi yaadgar hote hain
Barsih mein jism bheegta hai aur mohabbat mein aankhein

Aaj mausam kitna...

आज मौसम कितना खुश गवार हो गया,
खत्म सभी का इंतज़ार हो गया,
बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से,
लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया।

Puchte the na...

पूछते थे ना कितना प्यार है तुम्हे हम से
लो अब गिन लो… बारिश की ये बूँदें

Kal rat mene saare gam...

कल रात मैंने सारे ग़म आसमान को सुना दिए,
आज मैं चुप हूँ और आसमान बरस रहा है।
Sad Shayari
Kal Raat Maine Sare Gam Aasman Ko Suna Diye,
Aaj Main Chup Hun Aur Aasman Baras Raha Hai.

बारिशो के मौसम में तुमको याद करने की आदते पुरानी है अब की बार सोचा है आदते बदल डालें फिर ख्याल आया के आदते बदलने से बारिशें नहीं रूकती

ये मौसम भी कितना प्यारा है,
करती ये हवाएं कुछ इशारा है,
जरा समझो इनके जज्बातों को,
ये कह रही हैं किसी ने दिल से पुकारा है।
Ashiqi Shayari
Ye Mausam Bhi Kitna Pyara Hai,
Karti Ye Hawayen Kuch Ishara Hai,
Jara Samjho Inke Jazbaton Ko,
Ye Kah Rahin Hai Kisi Ne Dil Se Pukara Hai.

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
Door tak chhaye the baadal aur kahi n saya na tha
Is tarah barsaat ka mausam kabhi aaya na tha

इश्क़ करने वाले आँखों की बात समझ लेते हैं सपनो में यार आए तो उसे मुलाकात समझ लेते हैं रूठता तो आसमान भी है अपनी ज़मीन के लिए यह तो लोग ही उसे बरसात समझ लेते है

इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की,
तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को।
Iss Bheege Bheege Mausam Mein Thi Aas Tumhare Aane Ki,
Tumko Agar Fursat Hi Nahi Toh Aag Lage Barsaton Ko.

मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ,
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं।
Main Tere Hijr Ki Barsaat Me Kab Tak Bheegun,
Aise Mausam Me To Deewarein Bhi Gir Jati Hain.
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं ‘फ़राज़’
हमने क्या आँसू पिए के सारे मौसम रो पड़े

Is dafa to barishein rukti hi nahi faraz
Hamne kya aansoo piye ki sare mausam ro pade
Khud Ko Itna Bhi Na Bachaya Kr,
Barisen Hua Kare To Bheeg Jaya Kar.

ख़ुद को इतना भी न बचाया कर,
बारिशें हुआ करे तो भीग जाया कर।

हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

Ham to samjhe the ki barsaat mein barsegi sharab
Aai barsaat to barsaat ne dil tod diya

परदेस में क्या महसूस करें
बारिश का मज़ा मिट्टी की महक़
जब गाँव में अपने होती है
बरसात से खुशबू आती है

Love Shayari

Pardesh mein kya mahsoos kare
Barish ka maza mitti ki mahak
Jab gaanv mein apne hoti hai
Barsat se khsboo aati hai

बे मौसम बरसात से अंदाज़ा लगता हूँ मैं
फिर किसी मासूम का दिल टुटा है मौसम-ए-बहार में

Be mausam barsaat se andaza lagata hoon main
Phir kisi maasoom ka dil tuta hai mausam-e-bahar mein

भला काग़ज़ की इतनी कश्तियाँ हम क्यों बनाते हैं
न वो गलियाँ कहीं हैं अब न वो बारिश का पानी है

Bhala kaagaz ki itani kashtiyan ham kyon banate hain
Na wo galiyan kahi hai ab na wo barish ka pani hai

ये मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है
बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है
बादल जब गरजते हैं दिल की धड़कन बढ़ जाती है
दिल की हर एक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है
जब तेज हवाएं चलती हैं तो जान हमारी जाती है
ये मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है

Ye mausam hai barish ka aur yaad tumhari aati hai
Barish ke har qatre se aawaz tumhari aati hai
Badal jab garzte hain dil ki dhadkan badh jati hai
Dil ki har ek dhadkan se aawaz tumhari aati hai
Jab tez hawayen chalti hai to jaan hamari jati hai
Ye mausam hai barish ak aur yaad tumhari aati hai

इतनी सिद्दत से तो बरसात भी कम बरसे
जिस तरह आँख तेरी याद में नम बरसे
मिन्नतें कौन करे एक घरोंदे के लिए
बादल से कह दो आज झमा-झम बरसे

Itani siddat se to barsat bhi kam barse
Jis taarh aankh teri yaad mein nam barse
Minnatein kaun kare ek gharonde ke liye
Baadal se kah do aaj jhama-jahm barse

बारिश और मोहब्बत दोनो ही यादगार होते हैं
बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आँखें

मोहब्बत शायरी 


Barish aur mohabbat dono hi yaadgar hote hain
Barsih mein jism bheegta hai aur mohabbat mein aankhein

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